अजमेर:
राजस्थान के अजमेर जिले में 32 साल पुराने देश के बहुचर्चित “अश्लील छायाचित्र ब्लैकमेल कांड” में कोर्ट ने फैसला सुनाया है। कोर्ट ने मामले में बचे हुए छह आरोपियों को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इस कांड में 100 से ज्यादा कॉलेज की लड़कियों के साथ गैंगरेप और ब्लैकमेलिंग की घटनाएं सामने आई थीं।
इस भयावह घटना की कहानी:
इस मामले की शुरुआत 1990 के दशक में हुई थी जब अजमेर में यूथ कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष फारुख चिश्ती और उसके साथी नफीस चिश्ती सहित उनके अन्य सहयोगी कॉलेज की लड़कियों को अपना शिकार बनाते थे। ये लोग लड़कियों को पार्टियों के नाम पर फार्महाउस और रेस्टोरेंट में बुलाते थे और वहां उन्हें नशीला पदार्थ पिलाकर उनके साथ गैंगरेप करते थे। इसके बाद, उनकी न्यूड तस्वीरें खींची जाती थीं और इन्हीं तस्वीरों के आधार पर उन्हें ब्लैकमेल किया जाता था।
दुष्टता की हदें पार:
आरोपियों की हैवानियत यहीं नहीं रुकी। वे एक लड़की को छोड़ने के बदले दूसरी लड़की लाने की शर्त रखते थे। इस प्रकार, एक के बाद एक लगभग 100 से अधिक लड़कियां इनके चंगुल में फंस गईं। इस मामले में पहली बार एक कलर लैब से न्यूड तस्वीरें लीक होने पर इसका खुलासा हुआ। इस कांड के बाद कुछ लड़कियों ने आत्महत्या कर ली, जबकि अन्य ने डर के कारण अपने बयान देने से इंकार कर दिया।
32 साल बाद आया न्याय:
इस कांड में 18 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था, जिनमें से 9 को पहले ही सजा हो चुकी है। आज कोर्ट ने नफीस चिश्ती, नसीम उर्फ टार्जन, सलीम चिश्ती, इकबाल भाटी, सोहेल गनी और सैयद जमीर हुसैन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। यह फैसला 32 साल बाद आया है, जिससे पीड़िताओं को न्याय मिला है।