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बॉलीवुड

मूवी रिव्यू: किसी का भाई किसी की जान

 

ऐक्टर:

सलमान खान, पूजा हेगड़े, वेंकटेश, जगपति बाबू, भूमिका चावला, जस्सी गिल, राघव जुयाल, पलक तिवारी, शहनाज गिल

डायरेक्टर : फरहाद सामजी

श्रेणी: Hindi, Action, Drama, Comedy

अवधि: 2 Hours 24 Min

बॉलिवुड में साउथ फिल्मों की रीमेक बनाने का ट्रेंड काफी पुराना है। लेकिन तब कम ही दर्शकों पता होता था कि फलां बॉलिवुड फिल्म किस साउथ फिल्म की रीमेक है। साथ ही तब साउथ फिल्मों के हिंदी वर्जन भी उपलब्ध नहीं होते थे। लेकिन कोरोना के दौरान दर्शकों ने ओटीटी और यूट्यूब पर जमकर साउथ सिनेमा की हिंदी में डब फिल्में देखीं। ऐसे में, अब उन्हें साउथ की हिंदी रीमेक की रिलीज से पहले ही पता होता है कि वह किस साउथ फिल्म की रीमेक है।

सलमान खान की ईद के मौके पर रिलीज ‘किसी का भाई किसी की जान’ साल 2014 में आई तमिल सुपरस्टार अजित कुमार की फिल्म ‘वीरम’ की रीमेक है। इस फिल्म के नाम की तरह इसके बनने की कहानी भी काफी दिलचस्प है। डायरेक्टर फरहाद सामजी ‘वीरम’ को हिंदी में ‘बच्चन पांडे’ के नाम से अक्षय कुमार के साथ बनाना चाहते थे। लेकिन बाद में उन्होंने एक दूसरी तमिल फिल्म ‘जिगरठंडा’ पर ‘बच्चन पांडे’ बनाई, जो बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप रही। फिर फरहाद सामजी ने ‘वीरम’ की स्क्रिप्ट सलमान को दिखाई, जो उन्हें इतनी पसंद आई कि उन्होंने इस पर ‘कभी ईद कभी दिवाली’ टाइटल से फिल्म घोषित कर दी, जो कि आख‍िरकार अब ‘किसी का भाई किसी की जान’ के नाम से रिलीज हुई है।

किसी का भाई किसी की जान’ की कहानी

फिल्म की कहानी वही है, जो कि अजित कुमार की फिल्म ‘वीरम’ की है। भाईजान (सलमान खान) ने अपने तीन छोटे भाइयों की जिम्मेदारी के कारण शादी नहीं की। दरअसल भाईजान ने तीन अनाथ बच्चों को अपना भाई बनाकर पाला था। अब भाईजान अपनी और अपने भाइयों की शादी के भी खिलाफ हैं, ताकि उन भाइयों के बीच कोई और न आए। लेकिन भाईजान के छोटे भाई उनकी शादी करवाना चाहते हैं, ताकि वे अपनी प्रेमिकाओं के साथ घर बसा सकें। इसके लिए वे तमाम जुगत लगाते हैं।

एक दिन भाईजान की लाइफ में हैदराबाद से आई भाग्यलक्ष्मी (पूजा हेगड़े) की एंट्री होती है। भाग्यलक्ष्मी को भाईजान पसंद आ जाते हैं, लेकिन भाईजान उससे दूर भागते हैं। हालांकि धीरे- धीरे वह उसे चाहने लगते हैं। एक दिन उन्‍हें पता लगता है कि भाग्यलक्ष्मी के बड़े भाई अन्नय (वेंकटेश दग्‍गुबाती) परेशानी में हैं। फिर भाईजान अपने भाइयों के साथ भाग्यलक्ष्मी की फैमिली की मदद के लिए पहुंच जाते हैं। क्या भाईजान और भाग्यलक्ष्मी का मिलन हो पाता है? यह जानने के लिए आपको सिनेमाघर जाना होगा।

किसी का भाई किसी की जान’ मूवी रिव्‍यू

फिल्म के डायरेक्टर फरहाद सामजी ने 10 साल पुरानी कहानी पर बेहद कमजोर स्क्रिप्ट के साथ यह फिल्म बनाई है। महज ढाई घंटे से कम समय की फिल्म में उन्होंने इतने सारे मसाले डाल दिए कि उन्हें समेटना खुद फरहाद के लिए मुश्किल हो गया। बेशक इस फिल्म की तुलना अजित कुमार की ‘वीरम’ से होगी। ‘वीरम’ की कहानी कसी हुई थी और उसमें बहुत ज्यादा ड्रामा भी नहीं था। लेकिन यहां पर सलमान ने फिल्म में भारी भरकम स्टारकास्ट जोड़ ली है, जो कि कई बार बोझिल हो जाती है। इंटरवल से पहले तक ‘किसी का भाई किसी की जान’ की कहानी पूरी रफ्तार नहीं पकड़ती। जबकि इंटरवल के बाद भी यह आपको खास जमती नहीं है।

इस फिल्म की कहानी न सिर्फ नए जमाने के हिसाब से बकवास लगती है, बल्कि इसके गानों में भी सलमान अजीब-ओ-गरीब अंदाज में थिरकते नजर आते हैं। फिल्म का ‘नइयों लगदा’ और ‘ब‍िल्‍ली ब‍िल्‍ली’ गाना जरूर हिट है, लेकिन बाकी गाने नहीं जमते। सलमान ने फिल्म में अपने चिर-परिचित अंदाज के मुताबिक ओवर एक्टिंग की है, वहीं पूजा हेगड़े एक बार फिर बॉलिवुड में एक अदद हिट के लिए स्ट्रगल करती नजर आती हैं। हालांकि वेंकटेश और जगपति बाबू जरूर अपने रोल में जमे हैं। बाकी कलाकारों के पास फिल्म में करने के लिए ज्यादा कुछ नहीं है।

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