नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार को बड़ा झटका देते हुए फैसला सुनाया कि दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) को नगर निगम में 10 एल्डरमैन (पार्षद) को नामित करने का पूरा अधिकार है। जस्टिस नरसिम्हा की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि LG को यह पावर दिल्ली म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन एक्ट से मिली है और इसमें दिल्ली सरकार से सलाह की जरूरत नहीं है।
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फैसले का प्रभाव:
यह फैसला 14 महीने से लटका हुआ था और इसका असर एमसीडी के काम पर भी देखा जा रहा था। कोर्ट के इस फैसले के बाद जनवरी 2023 में LG द्वारा तय किए गए नाम ही मान्य रहेंगे।
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अधिकारों की व्याख्या:
जस्टिस नरसिम्हा ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि एलजी की शक्ति वैधानिक है, न कि कार्यकारी। इसलिए LG अपने विवेक से निर्णय ले सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली नगर निगम में सदस्यों को मनोनीत करने की एलजी की शक्ति एक वैधानिक शक्ति है और इसमें निर्वाचित सरकार का अधिकार क्षेत्र सीमित है।
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दिल्ली बनाम केंद्र सरकार:
दिल्ली बनाम केंद्र सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने पहले ही यह फैसला सुनाया था कि संसद दिल्ली की राज्य और समवर्ती सूचियों पर कानून बना सकती है, जिससे निर्वाचित सरकार का अधिकार क्षेत्र कम हो जाता है।