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“करगिल विजय दिवस: शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा और योगेंद्र यादव की बहादुरी से पाकिस्तान की हार”

हिंदी समाचार लेख:

करगिल विजय दिवस: भारतीय सेना के शूरवीरों की अदम्य बहादुरी

नई दिल्ली: 26 जुलाई को पूरे देश में करगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ धूमधाम से मनाई जा रही है। इस अवसर पर हम उन वीर जवानों की अद्भुत कहानियों को याद कर रहे हैं, जिन्होंने 1999 में करगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान सेना को करारी हार दी और टाइगर हिल पर भारत का तिरंगा फहराया।

इस युद्ध में भारतीय सेना ने अपने अदम्य साहस और समर्पण से पाकिस्तान की घुसपैठ का सफलतापूर्वक मुकाबला किया। भारतीय सेना के जवानों ने बहादुरी की मिसाल पेश करते हुए दुश्मनों को खदेड़ दिया और उन्हें मुंह की खानी पड़ी।

योगेंद्र यादव की बहादुरी: 17 गोलियों के बावजूद विजय

ऑनररी कैप्टन योगेंद्र यादव, जिन्होंने करगिल युद्ध के दौरान अपनी जांबाज़ी से सबको प्रभावित किया, उनकी कहानी बेहद प्रेरणादायक है। 19 साल की उम्र में, योगेंद्र यादव को टाइगर हिल पर एक घातक प्लाटून का कमांडर बनाया गया। उन्हें 3 जुलाई 1999 की रात को टाइगर हिल पर चढ़ाई करने का आदेश मिला। दुश्मनों की ओर से जबरदस्त गोलीबारी और ग्रेनेड हमले के बावजूद, यादव ने बहादुरी से मोर्चा संभाले रखा।

योगेंद्र यादव को 17 गोलियां लगीं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने जवाबी हमला किया और आठ पाकिस्तानी आतंकियों को मार गिराया। इसके बाद, टाइगर हिल पर भारत का तिरंगा फहराया। उनकी इस वीरता के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।

जनरल वीपी मलिक की बात: इंटेलिजेंस की नाकामी और ऑपरेशन विजय

करगिल युद्ध के दौरान भारतीय सेना के प्रमुख जनरल वेद प्रकाश मलिक ने बताया कि युद्ध की शुरुआत में इंटेलिजेंस एजेंसी की नाकामी रही थी। छोटे-छोटे टुकड़ों में घुसपैठ के बावजूद, भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय के तहत पाकिस्तान को पराजित किया। जनरल मलिक ने इस संघर्ष की कठिनाइयों और सेना की महत्त्वपूर्ण जीत की कहानी साझा की।

वायु सेना के पांच हीरो

करगिल युद्ध में भारतीय वायु सेना के पांच हीरो भी चर्चा का विषय रहे। एयर मार्शल रघुनाथ नाम्बियार, एयर मार्शल दिलीप पटनायक, ग्रुप कैप्टन श्रीपद टोकेकर, ग्रुप कैप्टन अनुपम बनर्जी, और विंग कमांडर पीजे ठाकुर ने युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं। इन शूरवीरों ने आसमान से दुश्मनों के मनसूबों को नाकाम कर दिया और भारतीय सेना की सफलता में अहम योगदान दिया।

कैप्टन विक्रम बत्रा की शहादत: देश का शेरशाह

कैप्टन विक्रम बत्रा, जिन्हें “शेरशाह” के नाम से जाना जाता है, ने प्वाइंट 4875 पर अपने नेतृत्व से भारतीय सेना को विजय दिलाई। घायल होने के बावजूद, उन्होंने ग्रेनेड फेंककर दुश्मनों को पराजित किया। उनकी शहादत ने उन्हें अमर बना दिया और उनकी बहादुरी आज भी लोगों के दिलों में जीवित है।

आज के दिन, हम उन सभी शहीदों और वीर जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपनी जान की कुर्बानी दी। उनकी वीरता और साहस की कहानियां सदैव हमारे दिलों में जीवित रहेंगी।

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